Thursday, July 30, 2009

शराबी

What may happen when a lost lover remembers his love. A feeble try to paint a little picture of the scene.

सर भारी हो झूल रहा था,
दिमाग भी घूम रहा था,
कभी इधर-कभी उधर,
उसमे खो कर झूम रहा था
मैंने ऐसा क्या कर दिया,
बस, सोचा ही तो था

लाल आँखें बरस रही थीं,
उसे देखने को तरस रही थीं,
जलने लगीं, सो बंद कर लीं,
पाँच साल से जिसकी दरस नही थी।
जाने ऐसा क्या हो गया,
बस, सोचा ही तो था।

उठने की कोशिश की थी मैंने,
संभलने की कोशिश की थी मैंने,
न उठ सका, न संभल सका,
सहारा लेने की कोशिश की थी मैंने।
मैं, ऐसा कैसे हो गया,
बस, सोचा ही तो था।

स्वप्न लोक की लहरों को सहता रहा,
उसे देख आन्हे भरता रहा,
निगल गई धरती, खा गया समंदर उसे,
उसे मरता देख, मैं मरता रहा।
आज अकेला क्यूँ हो गया,
बस, सोचा ही तो था।

हाँ, अब याद आया,
मैं अपना घर छोड़ आया,
इस मधुशाला को याद करता,
अपने गम वहीं छोड़ आया।
यों मैं मुस्करा क्यूँ गया,
बस, सोचा ही तो था।

वो हिरनी जैसी घूम रही थी,
खिलखिला कर मुझको चूम रही थी,
नीच जात का कहकर मुझसे अलग किया,
उसे जलाकर ऊँची जात झूम रही थी।
जिंदगी पर हंस क्यूँ गया,
बस सोचा ही तो था।

यही तो सोचा था की वो मेरे साथ है,
यही तो सोचा था मेरे माथे पर उसका हाथ है,
बीमार पड़ा मैं कराह रहा,
दवा न खोजी, अब शराब ही जगन्नाथ है।
क्यूँ सबको अलविदा कह गया,
बस, सोचा ही तो था।

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