मन था निराश , थी उसे तलाश ,
फिर बारिश की कुछ बूंदों ने नन्ही कलियों को खिला दिया ,
उसकी मदमस्त हवाओं ने मेरा रोम -रोम हिला दिया ,
जी हो उठा झूमने का , जो ठंडी बयार चल पड़ी ,
पर तभी वो बारिश, वो अद्भुत बारिश लौट पड़ी,
मन हो गया विचलित , रही न खुद की सुध ,
अब तो बस यह पागल है , हर वक़्त खोया रहता है .
उस बारिश ने उम्मीदों को नया आयाम दिया ,
उस सूखे पर भी अपना छोटा -सा अस्तित्व कायम किया ,
वे सोयी कलियाँ खिल उठी , और वे खिली रहेंगी ,
अभी अभी अश्रुपूरित नेत्रों से उसे विदा किया था ,
पर अगली बारिश होने की राह तकती रहेंगी .
यह आशा भी अजीब है , जीने को मजबूर करती है ,
पर साथ ही जिंदगी के नए मायने समझाती है ,
हर वक़्त मन में एक उमंग जगाती है ,
एहसास कराती है की फिर से बारिश होगी .
हर बार पतंग की डोर कटती है ,
पर उसी डोर पर नयी पतंगे उड़ती हैं .
यही है जीने का सार ,की मानो न कभी भी हार .
आज नहीं तो कल , यह सुखा भी मुरझायेगा ,
जब फिर से बारिश होगी .....
बारिश ...बारिश ...बारिश .
Picture credits: www.stolen-designs.deviantart.com
:) Nopes, this isn't from any game!!!
ReplyDeleteur work is simply amazing...i loved it
ReplyDeleteI dont know who u are...
ReplyDeletebut anyways...i must thank u for the comment...
:)
Thanks...and keep visiting the blog! [:)]
Look im sorry, could you please credit the original artist of the image on Baarish otherwise i'd like you to remove it. if you do put credit, please put credit to www.stolen-designs.deviantart.com if you do not credit or remove it there will be other actions taken.
ReplyDeletethankyou.
Sure, I didnt know actually. Sorry.
ReplyDeleteyour work touches the core my heart...i hope you'll add more of your creative works in the days to come... :)
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