क्या तुम्हे कुछ महसूस हुआ?
क्या तुम्हें कुछ सुनाई दिया?
क्या तुम्हें कुछ दिखाई दिया?
शायद नहीं, तभी तो बुत बनी हो।
क्या तुम्हें कुछ महसूस हुआ?
मैंने अभी तुम्हें झकझोरा था,
अभी तो छुआ था तुम्हें,
तुम्हारी पलकों को, तुम्हारी बाँहों को,
तुम्हारे होटों को, तुम्हारी निगाहों को,
अगर अब भी एहसास न हुआ, तो कब होगा?
क्या तुम्हें कुछ सुनाई दिया?
मैं अभी तो चिल्लाया था,
अभी तो कान में कहा था,
तुम प्यारी हो, खुबसूरत हो,
मेरी रूह में हो, जान में हो,
अगर अब अभी सुनाई न दिया, तो कब देगा?
क्या तुम्हें कुछ दिखाई दिया?
मैंने अभी तो ताली बजाई थी,
अभी तो सामने आया था तुम्हारे,
थोडा हाथ हिलाया, एक गुलाब दिया,
थोडा पास आया, और पास आया,
अगर अब भी दिखाई न दिया, तो कब देगा?
आखिर क्यों बनी हो यों बुत?
आखिर क्यों नहीं कुछ कहती मुझसे?
आखिर क्यों हाथ नहीं बढाती आगे?
आखिर क्यों नहीं दिखाती वो प्यार भरी निगाहें?
या सिर्फ मेरे ख्वाबों में हो,
जागते तो सामने भी नहीं।
हा! जब ख्वाबों में ही प्यार न किया,
तो हकीकत क्या होगी?
मैं दुआ मांगूंगा खुदा से,
कभी तो मुहब्बत करोगी।
पर कभी सामने न आना,
न आना कभी रूबरू,
क्योंकि इसी बहाने से,
सपनों में तो मुझे मिलोगी।
Good work...
ReplyDeletecan do better...
wah wah....ranjan..
ReplyDeletejitu bhai ye exam nahi...dil ke tukde hain jo shabdon me badal gaye hai...can do better kehke tumne PYAAR ko neecha kiya hai...
shabdon me n=mat jaao..feel karo feeeel...